निर्देश (प्र.सं. 143 -150) नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए |
मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं- रिक्शेवाले, मजदूर, फेरीवाले, कबाड़ीवाले…| आना-जाना लगा ही रहता है | लोग कहते हैं “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गन्दा फैला रहे हैं और आप इन्हें बर्दाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है|” मैं उनकी बातों को हल्के में ही लेता हूँ| मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं| अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते हैं और खाकर चले जाते हैं| ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग हैं जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए हैं| ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं, जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं| लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया| अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है| असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है| में लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ| बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है| खेतों की मिटटी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है| आज भी उस मिटटी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता| वह मिटटी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेरे भीतर बसी हुई है| इसीलिए मुझे मिटटी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं| इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता| दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुःख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं| ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं| कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं|
16. लेखक लोगों की शिकायतों को हल्के में लेता है, क्योंकि
17. साधारण बात पर भी हंगामा कौन खड़ा कर देते हैं?
निर्देश (प्र.सं. 144-150) नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए|
आपको किसी महत्वपूर्ण परीक्षा की तैयारी में क्या कठिनाई हो रही है? क्या ऐसा करने में समय की कमी महसूस हो रही है? अगर आपका जवाब ‘हाँ’ है तो आपको समय प्रबन्धन सीखने की जरूरत है| समय प्रबन्धन किसी भी परीक्षा की तैयारी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है| बहुत से परीक्षार्थी ऐसे हैं,जो परीक्षाओं की तैयारी देर से और बेहतरीन ढंग से शुरू करते हैं, जिससे उन्हें समयाभाव सबसे बड़े शत्रु की तरह दिखने लगता है| बिना समय प्रबन्धन के उस अनुपात में फायदा नहीं हो पाता, जिस अनुपात में आप मेहनत करते हैं| वास्तव में समय की गति को या उसके स्वभाव को मैनेज नहीं किया जा सकता,क्योंकि न तो इसे धीमा किया जा सकता है और न ही रोका जा सकता है| आप स्वयं को मैनेज करते हुए सिर्फ इसका सही उपयोग कर सकते हैं|
वास्तविकता यही है |
सबसे पहले आप यह निर्धारित करें की आपका वर्तमान समय कैसे व्यतीत हो रहा है| आप पिछले एक सप्ताह के अपने कार्यकलाप को एक पेपर पर लिखकर देखिए की आपने टाइमटेबल का कितना और कैसा अनुसरण किया है| पूरे सप्ताह में कितने घण्टे सेल्फ-स्टडी की है और आपका निर्धारित सिलेबस का कितना हिस्सा नहीं हो पाया है| एक बार पूरा विश्लेषण करने के बाद आप स्वयं को समय के हिसाब से बदलना शुरू कर सकते हैं| समय बचाने के लिए किसी विशेषज्ञ की टिप्स काम आ सकती है परन्तु सबसे अधिक प्रभाव आपके निश्चय, समर्पण और समय नियोजन का रहेगा| समय प्रबन्धन आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और यह सफलता की दिशा में निर्णायक होगा|
19. समय प्रबन्धन सीखने की जरूरत कब है?