CTET Solved Paper - CTET February 2014 Paper1

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जीवन में बहुत अंधकार है और अंधकार की ही भाँति अशुभ और अनीति है| कुछ लोग इस अंधकार को स्वीकार कर लेते हैं और तब उनके भीतर जो प्रकाश तक पहुँचने और पाने की आकांक्षा थी, वह क्रमशः क्षीण होती जाती है| मैं अंधकार की इस स्वीकृति को मनुष्य का सबसे बड़ा पाप कहता हूँ| यह मनुष्य का स्वयं अपने प्रति किया गया अपराध है| उसके दूसरों के प्रति किए गए अपराधों का जन्म इस मूल पाप से ही होता है| यह स्मरण रहे कि जो व्यक्ति अपने ही प्रति इस पाप को नहीं करता है, वह किसी के भी प्रति कोई पाप नहीं कर सकता है| किन्तु कुछ लोग अंधकार के स्वीकार से बचने के लिए उसके अस्वीकार में लग जाते हैं| उनका जीवन अंधकार के निषेध का ही सतत उपक्रम बन जाता है|

1. गधांश में 'अन्धकार' शब्द किस ओर संकेत करता है?

  • Option : B
  • Explanation : गद्यांश के अनुसार, अन्धकार बुराइयों एवं कठिनाइयों की ओर साकेत करता है|
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2. लेखक ने किसे सबसे बड़ा पाप कहा है?

  • Option : D
  • Explanation : अन्धकार अर्थात बुराइयों को स्वीकार कर लेना मनुष्य द्वारा अपने जीवन में किया गया सबसे बड़ा पाप है| इस पाप के बोझ से मनुष्य निरंतर दबा चला जाता है|
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3. जब व्यक्ति स्वयं के प्रति किए गए अन्याय, शोषण के विरुद्ध आवाज नहीं उठाता, तो

  • Option : A
  • Explanation : सही अर्थ में अन्याय और शोषण करने का बढ़ावा बुरे लोगों को तभी मिलता है जब इनके प्रति आवाज़ नहीं उठाई जाती| यदि इनका डटकर मुकाबला किया जाए, तो अन्याय और शोषण समूल नष्ट हो जाते हैं|
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4. 'अन्धकार का निषेध' किस ओर संकेत करता है?

  • Option : D
  • Explanation : दिए गए गद्यांश में 'अन्धकार का निषेध' से तात्पर्य लोगों द्वारा यह मानना है कि बुराई या अन्याय नाम की कोई प्रवृत्ति नहीं होती अर्थात वे लोग बुराइयों से जान-बूझकर दूर भागते हैं|
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5. इस गद्यांश का मुख्य उद्देश्य है

  • Option : B
  • Explanation : दिए गए गद्यांश का मुख्य उद्देश्य अन्याय और बुराइयों को दूर करने के लिए प्रेरित करना है|
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