जीवन में बहुत अंधकार है और अंधकार की ही भाँति अशुभ और अनीति है| कुछ लोग इस अंधकार को स्वीकार कर लेते हैं और तब उनके भीतर जो प्रकाश तक पहुँचने और पाने की आकांक्षा थी, वह क्रमशः क्षीण होती जाती है| मैं अंधकार की इस स्वीकृति को मनुष्य का सबसे बड़ा पाप कहता हूँ| यह मनुष्य का स्वयं अपने प्रति किया गया अपराध है| उसके दूसरों के प्रति किए गए अपराधों का जन्म इस मूल पाप से ही होता है| यह स्मरण रहे कि जो व्यक्ति अपने ही प्रति इस पाप को नहीं करता है, वह किसी के भी प्रति कोई पाप नहीं कर सकता है| किन्तु कुछ लोग अंधकार के स्वीकार से बचने के लिए उसके अस्वीकार में लग जाते हैं| उनका जीवन अंधकार के निषेध का ही सतत उपक्रम बन जाता है|
6. इस गद्यांश में 'उपक्रम' का अर्थ है
7. जीवन में बहुत अन्धकार है| रेखांकित अंश में कौन-सा कारक है? -------
10. भाषा की पाठ्य-पुस्तकों में दिए गए अभ्यास
बच्चों की चीजों को परखने, गहराई से जुड़ने और व्यापक अनुभव स्तर से तादाम्य का अवसर देते हैं
बच्चों की भाषायी और सांस्कृतिक विविधता को सीमित करते हैं
बच्चों को विस्तृत अभ्यास करने और शिक्षकों को बच्चों की भाषा में सुधार करने के तरिके बताते हैं
बच्चों का सही-सही आकलन करने में सदैव मदद करते हैं कि वे क्या नहीं जानते?