Explanation : रौद्र रस का स्थायी भाव 'क्रोध' है| विरोधी पक्ष द्वारा किसी व्यक्ति, देश, समाज या धर्म का अपमान या अपकार करने से उसकी प्रतिक्रिया में जो क्रोध उतपन्न होता है, वह विभाव, अनुभव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर असह्य हो जाता है और तब रौद्र रस उतपन्न होता है|
Explanation : वाक्य में लिंग, वचन, पुरुष, काल, कारक, आदि का क्रिया के साथ ठीक-ठाक मेल होना चाहिए, जैसे मोहन और गीता गा रही है, गीता और मोहन गा रहा है, मोहन और गीता गा रही हैं, इसमें कर्ता क्रिया अन्वय ठीक नहीं है| अतः शुद्ध वाक्य होगा 'मोहन और गीता गा रहे हैं|'