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36. 'मृगतृष्णा' का तातपर्य है
हिरनों की प्यास का सामूहिक नाम
किसी को फँसाने का षड्यन्त्र
दूर से ललचाने वाली वस्तु का भ्रम
देर से लगी हुई प्यास का अहसास
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37. 'वाक्य विग्रह' का अर्थ है
शब्दों को जोड़ना
वाक्य रचना करना
वाक्य खण्डों को अलग-अलग करके उनका सम्बन्ध बताना
सन्धि और समास बताना
38. अयोगवाह खा जाता है
महाप्राण को
अनुस्वार एवं विसर्ग को
संयुक्त व्यंजन को
अल्पप्राण को
39. एक ओर अजगरहि लखि एक ओर मृगराय | विकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय || उपरोक्त पंक्तियों में प्रयुक्त रस है
रौद्र रस
वीर रस
भयानक रस
करूण रस
40. निम्नलिखित में अभिवृत्यात्मक उद्देश्य है
स्वानुभूत विचारों व भावों को अभिव्यक्त करना
साहित्य का रसास्वादन करना
धैर्यपूर्वक सुनना
भाषा और साहित्य में रूचि
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