Explanation : तुलसीदास द्वारा रचित विनय-पत्रिका (1585 ई.) व्यक्तिगत एकांतिक अनुभूतियों की अभिव्यक्ति की दृष्टी से एक अनूठा भक्ति काव्य है| यह ब्रजभाषा में लिखी गई है| इसमें 280 पद हैं तथा शांत रस की इसमें अधिक प्रधानता है|
Explanation : ट वर्ग के वर्ण ट,ठ,ड,ढ,ण सभी मूर्धन्य व्यंजन होते हैं| ये वर्ण कठोर तालु के मध्य भाग तथा जीभ की उलटी हुई नोंक के निचले भाग से स्पर्श होकर उच्चारित होते हैं, ऐसी स्थिति में उतपन्न ध्वनि को मूर्धन्य कहते हैं|
Explanation : अन्धेर नगरी, सत्य हरिश्चंद्र, कर्पूर मंजरी, मुद्राराक्षस, भारत दुर्दशा तथा वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति भारतेन्दु हरिश्चंद्र के मौलिक नाटक हैं|
Explanation : आदिकाल के लौकिक साहित्य के प्रमुख कवियों में विद्यापति और अमीर खुसरों का नाम प्रमुख हैं| ये दोनों ही कवि अपनी पहेलियों में खड़ीबोली का उपयोग करते थे| अतः खुसरो पहेली लिखने वाले कवि थे|