Q 126 CTET Sept 2015 P2

निर्देश (प्र.सं. 121 -129) नीचे दिए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए |

‘आदमी की तलाश’, यह स्वर अक्सर सुनने को मिलता है| यह भी सुनने को मिलता है की आज आदमी, आदमी नहीं रहा| इन्हीं स्थितियों के बीच दार्शनिक राधाकृष्णन की इन पक्तियों का स्मरण हो आया “हमने पक्षियों की तरह उड़ना और मछलियों की तरह तैरना तो सीख लिया है, पर मनुष्य की तरह पृथ्वी पर चलना और जीना नहीं सीखा|” जिंदगी के सफर में नैतिक और मानवीय उद्देश्यों के प्रति मन में अटूट विशवास होना जरूरी है| कहा जाता है – आदमी नहीं चलता, उसका विशवास चलता है| आत्मविश्वास सभी गुणों को एक जगह बाँध देता है, यानी कि विशवास की रोशनी में मनुष्य का सम्पूर्ण व्यक्तित्व और आदर्श उजागर होता है| गेटे की प्रसिद्ध उक्ति है कि जब कोई आदमी ठीक काम करता है तो उसे पता तब नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है, पर गलत काम करते समय उसे हर क्षण यह ख्याल रहा है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है| गलत को गलत मानते हुए भी इंसान गलत किए जा रहा है| इसी कारण समस्याओं एवं अँधेरों के अंबार लगे हैं| लेकिन ऐसा ही नहीं है| कुछ अच्छे लोग भी हैं, शायद उनकी अच्छाइयों के कारण ही जीवन बचा हुआ है| ऐसे लोगों ने नैतिकता और सच्चरित्रता का खिताब ओढ़ा नहीं, उसे जीकर दिखाया|वए भाग्य और नियति के हाथों खिलौना बनकर नहीं बैठे, स्वयं के पसीने से अपना भाग्य लिखा| महात्मा गाँधी ने इसलिए कहा कि हमें वह परिवर्तन खुद बनना चाहिए, जिसे हम संसार में देखना चाहते हैं| जरूरत है कि हम दर्पण जैसा जीवन जीना सीखें| उन सभी खिड़कियों को बंद कर दें, जिनसे आने वाली गन्दी हवा इंसान को इंसान नहीं रहने देती| मनुष्य के व्यवहार में मनुष्यता को देखा जा सके, यही ‘आदमी की तलाश’ है|

0. अनुचित कार्य करते समय मनुष्य को

  • Option : D
  • Explanation : गलत या अनुचित कार्य उसे यह अवश्य आभास रहता है, कि जो वह कर रहा है वह ठीक नहीं कर रहा|
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