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146. सतत और व्यापक मूल्यांकन मुख्य रूप से.....पर बल देता|
बच्चे के सुधार के लिए लगातार परीक्षण करने
बच्चे के व्यवहार का सतत अवलोकन करने
मस्तिष्क, ह्रदय और हाथ की शिक्षा पर
कमजोर अयोग्य विध्याथ्रियों को उच्च स्तर (अगली कक्षा) पर प्रोन्नत करने
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147. भाषा शिक्षण के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से पाठ्य-पुस्तकों की उपयोगिता है
पाठ्य-पुस्तकें शिक्षक का मार्गदर्शन करती हैं
पुस्तकें ज्ञान-प्राप्ति का सशक्त साधन हैं, पुस्तकों के सहारे व्यक्ति बिना गुरु के भी अपना ज्ञानार्जन कर सकता है
पुस्तकें मौलिक चिंतन की सशक्त पृष्ठभूमि तैयार करती हैं
उपरोक्त सभी
148. भाषा की पाठ्य-पुस्तक में ऐसे पाठ रखे जाएँ जो
केवल व्याकरणिक नियमों का ही अभ्यास कराते हों
अत्यन्त छोटे हों
सरल भाषा से युक्त हों
बच्चों के परिवेश से जुड़े हों
149. सतत और व्यापक मूल्यांकन की शुरुआत में मूल्यांकन व्यवस्था को
बच्चे के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को ज्यादा प्रदर्शित करने वाला बनाया है
बहुत अधिक विवरण को शामिल करते हुए जटिल बनाया है
अस्पष्ट बनाया है क्योंकि विध्यार्थी के निश्चित रैंक को जाना नहीं जा सकता
केवल शैक्षणिक क्षेत्रों में निष्पादन का विश्लेषण करने के लिए ज्यादा व्यापक बनाया है
150. श्रव्य-दॄश्य साधनों के प्रयोग का तर्काधार इस तथ्य पर आधारित है कि
इससे अध्यापन-अधिगम प्रक्रिया सुगम हो जाती है
इससे अधिगम स्थूल हो जाता है
इससे हमारी दोनों इन्द्रियाँ सक्रीय हैं
यह मात्र किसी चीज को करने का दूसरा तरीका है
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