निम्नलिखित 5 प्र. के काव्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए|
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दन्तहीन, विषरहित, विनीत सरल हो
तीन दिवस तक पंथ माँगते रघुपति सिंधु किनारे
बैठे पढ़ते रहे छन्द अनुनय के प्यारे-प्यारे
उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से
सिन्धु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में
चरण पूज दासता ग्रहण की बँधा मूंढ़ बन्धन में
सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की
सन्धिवचन संपूज्य उसी का जिसमे शक्ति विजय की
36. उपरोक्त काव्यांश के प्रथम चरण का भाव है
37. तीसरे और चौथे चरण का केंद्रीय विचार है
निम्नलिखित 3 प्र. के काव्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए|
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दन्तहीन, विषरहित, विनीत सरल हो
तीन दिवस तक पंथ माँगते रघुपति सिंधु किनारे
बैठे पढ़ते रहे छन्द अनुनय के प्यारे-प्यारे
उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से
सिन्धु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में
चरण पूज दासता ग्रहण की बँधा मूंढ़ बन्धन में
सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की
सन्धिवचन संपूज्य उसी का जिसमे शक्ति विजय की