Hindi - Unseen Pessage 2 ( अपठित गद्यांश और पद्यांश )

Avatto > > CTET > > TET Practice Questions > > Hindi > > Unseen Pessage 2 ( अपठित गद्यांश और पद्यांश )

निर्देश (प्र. सं. 82 – 85) निम्नांकित गद्य खण्ड को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए|

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है | यह एक बड़ी भारी सामाजिक विरासत है, जिसके पीछे लम्बा इतिहास है| रामायण और महाभारत जैसे ग्रन्थ इसी विरासत का एक भाग हैं जिन पर हमें गर्व है| देश की सभ्यता व संस्कृति का इतिहास बहुत पुराना है| भारत में जन्म लेने वाले महापुरुषों ने समय-समय पर इस देश की कीर्ति-पताका विश्व में फैलाई है| महर्षि पाणिनि से लेकर वाल्मीकि, वेदव्यास, सूर, तुलसी एवं महर्षि विवेकानन्द, गांधी और गौतम के रूप में यह परम्परा चलती रही|

26. संस्कृति से किस बात का बोध होता है?

  • Option : D
  • Explanation : संस्कृति शब्द से हमे अपने पूर्वजों से मिली विशिष्ट जीवन-शैली का बोध होता है|
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


27. रामायण की रचना किसने की?

  • Option : B
  • Explanation : रामायण की रचना 'वाल्मीकि' ने की |
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


28. आदि महाकाव्य किसे कहा जाता है?

  • Option : B
  • Explanation : आदि महाकाव्य महाभारत को कहा जाता है |
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


29. विवेकानन्द एवं महात्मा गांधी में क्या समानता थी?

  • Option : D
  • Explanation : विवेकानन्द एवं महात्मा गांधी में यह समानता थी कि दोनों भारतीय संस्कृति के पोषक थे |
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


निर्देश (प्र.सं. 130-135) नीचे दिए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए|

अधिकतर लोगों की यही शिकायत होती है कि उन्हें पनपने के लिए सटीक माहौल व संसाधन नहीं मिल पाए, नहीं तो आज वे काफी आगे होते और आज भी ऐसे कई लोग हैं, जो संसाधन और स्थितियों के अनुकूल होने के इन्तजार में खुद को रोके हुए हैं| ऐसे लोगों के लिए ही किसी विद्वान ने कहा है – इन्तजार मत कीजिए, समय एकदम अनुकूल कभी नहीं होता| जितने संसाधन आपके पास मौजूद हैं उन्हीं से शुरुआत कीजिए और आगे सब बेहतर होता जाएगा| जिनके इरादे दृढ़ होता हैं, वे सीमित संसाधनों में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाते हैं|
नारायणमूर्ति ने महज दस हजार रूपये में अपने छः दोस्तों के साथ इन्फोसिस की शुरुआत की और आज इन्फोसिस आईटी के क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी है| करौली टैक्स, पहले अपने दाएँ हाथ से निशानेबाजी करते थे, मगर उनका वह हाथ एक विस्फोट में चला गया| फिर उन्होंने अपने बाएँ हाथ से शुरुआत की और 1948 व 1950 में ओलम्पिक स्वर्ण पदक अपने नाम किया| लिओनार्दो द विंची, रवीन्द्रनाथ टैगोर, टॉमस अल्वा एडिसन, टेलीफोन के आविष्कारक ग्रैहम बेल, वॉल्ट डिज़्नी- ये सब अपनी शुरूआती उम्र में डिस्लेक्सिया से पीड़ित रह चुके हैं, जिसमे पढ़ने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, फिर भी ये सभी अपने-अपने क्षेत्र के शीर्ष पर पहुँचे| अगर ये लोग भी इसी तरह माहौल और संसाधनों की शिकायत और इन्तजार करते, तो क्या कभी उस मुकाम पर पहुँच पाते, जहाँ वे मौजूद हैं? अगर हमने अपना लक्ष्य तय कर लिया है, तो हमें उस तक पहुँचने की शुरुआत अपने सीमित संसाधनों से ही कर देनी चाहिए| किसी इन्तजार में नहीं रहना चाहिए| ऐसे में इन्तजार करना यह दर्शाता है कि हम अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध नहीं हैं| इसलिए हमें अपनी इच्छशक्ति को मजबूत कर जुट जाना होगा| इन्तजार करेंगे, तो करते रह जाएँगे|

30. 'समय एकदम अनुकूल कभी नहीं होता' यहाँ 'एकदम' का अर्थ है

  • Option : A
  • Explanation : समय एकदम अनुकूल में एकदम का अर्थ है- पूरी तरह से अर्थात पूर्णतः|
Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *