CTET Solved Paper - CTET September 2016 Paper2

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146. 'धूल की तरह झाड़कर फेंक देना' का आशय है

  • Option : C
  • Explanation : धूल की तरह झाड़कर फेंक देने का आशय है--- पूरी तरह भुला देना |
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147. लोग लेखक से पूछते हैं कि क्या आपको गुरा नहीं लगता

  • Option : B
  • Explanation : दिए गए गद्यांश के अनुसार, लोग कहते हैं, "आपको बुरा नहीं लगता, लोग सड़क पर गन्दगी फैला रहे हैं|" से स्पष्ट है कि लोग आस-पास गन्दगी बिखेर देते हैं|
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निर्देश (प्र.सं. 143 -150) नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए |

मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं- रिक्शेवाले, मजदूर, फेरीवाले, कबाड़ीवाले…| आना-जाना लगा ही रहता है | लोग कहते हैं “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गन्दा फैला रहे हैं और आप इन्हें बर्दाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है|” मैं उनकी बातों को हल्के में ही लेता हूँ| मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं| अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते हैं और खाकर चले जाते हैं| ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग हैं जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए हैं| ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं, जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं| लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया| अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है| असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है| में लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ| बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है| खेतों की मिटटी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है| आज भी उस मिटटी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता| वह मिटटी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेरे भीतर बसी हुई है| इसीलिए मुझे मिटटी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं| इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता| दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुःख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं| ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं| कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं|

148. लेखक लोगों की शिकायतों को हल्के में लेता है, क्योंकि

  • Option : D
  • Explanation : लेखक लोगों की बातों एवं शिकायतों को जान-बूझकर हल्के में लेता है, क्योंकि जो लोग वहाँ इकट्ठा होते हैं, वे गाँव से ही आए हुए गरीब एवं ईमानदार हैं और लेखक का नाता भी आरम्भ में गाँव से रहा है, इसलिए वह जानता है कि गरीबी क्या होती है?
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149. साधारण बात पर भी हंगामा कौन खड़ा कर देते हैं?

  • Option : D
  • Explanation : साधारण बात पर भी हंगामा खड़ा कर देने वाले अमीर, किन्तु असभ्य लोग हैं, जो धनी तो हो गए हैं, पर उन्हें शऊर नहीं आया है अर्थात शिष्टता नहीं सीखी है|
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150. प्रस्तुत गद्यांश साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आएगा?

  • Option : C
  • Explanation : प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने अपने विचारों को संस्मरणात्मक शैली में लिखा है| अतः यह गद्यांश साहित्य की संस्मरण विद्या के अंतर्गत आएगा |
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